प्यार का महीना दिसंबर ठंड की बौछार लाता है और हम सभी के दिलों में झोली भर के प्यार दे जाता है हम सभी को अपने उस साथी की याद दे जाता है जो कभी हमारी दिल की धड़कनों के सबसे करीब रहता था या रहता है तो आइए मैंने लिखी है कुछ लाइनें आप सभी के लिए पेश करती हूं
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लड़ना क्या जिंदगी से यह भी तो अपनी नहीं
डरना क्या मौत से यह भी तो छोड़ती नहीं
लड़कर पत्थरों से कब तक तय कर पाओगे सफर
आखिर चोट खाए बिना मंजिल भी तो मिलती नहीं
एक रात दिसंबर की मुझे पागल कर गई
जख्मों की खबर नहीं और वह कायल कर गई
उसके मंसूबों के साथ वह बेवफा रात भी थी
इतना बरसाया कि मुझे घायल कर गई
उस रात की कातिलाना मुस्कुराहट है नाम थी मेरे
दिल डूब गया उसमें, लगा कि वह जमाल कर गई
रात का सन्नाटे का शोर उसकी नशीली आंखों में था
वह अपने कांपते लबों से जिंदगी बेहाल कर गई
उस रात के सन्नाटे का शोर कुछ यूं उठा हर तरफ
कि कातिल आवाज पूरे शहर में बवाल कर गई
वह तुम्हारा क्रिसमस पर मिलना
नाम पूछने पर अपना नंबर बताना
पीछा करने लगे थे तुम उस दिन से
गिफ्ट के बहाने घर तक चले आना
कितने बेसब्र थे तुम मुझे जानने के लिए
आज भी याद है तुम्हें वह सारा फसाना
रोज उठकर सुबह आईने से टकरा जाता हूं
ढक दूं आईना तो दीवारों से टकरा जाता हूं
निकलता हूं रोज खुद को तलाशने तेरे शहर में
रोज खुद को भूल कर तेरी भीड़ में खो जाता हूं
वक्त बेवक्त ख्याल रहा उनका
खेल इस नींद ने कुछ ऐसा खेला
नींद मेरी और सपना रहा उनका
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