अब तो लगता है अपने गम बांटने के लिए भी मेरे साथ कोई आना नही चाहता , शायद सबको अपना महबूब मिल गया होगा
शाम के ढलते सूरज एक और दिन उसकी याद में बीत गया कल शायद उसका फोन आए
उसकी हर एक याद को सीने से लगाए बैठा हूँ वो न मिली तो क्या हुआ उसकी तस्वीर दिल में छुपाए बैठा हूँ
अब तो साल की पहली बरसात भी आ गई
तुम भी आ जाओ ना
सोचा था कि तेरे हर ख्याल को अपनी रूह में बस लूंगा बस अब अगर और कुछ लिखा तो रो दूंगा।
एक प्रश्न ; क्या ये सही है कि आप अपने प्यार के लिए जिसे आप प्यार करते हो उसके प्यार को हमेशा के लिए उससे अलग कर दो।
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